One of the last posts in the category ‘Life at IISER-K’
हे कमबख्त वक़्त
तू थम तो ज़रा
देख वो चला जा रहा |
हे कमबख्त वक़्त
तू थिरक तो ज़रा
देख वो छूटा जा रहा |
हे कमबख्त वक़्त
तू रहम तो खा ज़रा
देख वो फिसलता जा रहा |
हे कमबख्त वक़्त तू
बेवफ़ाई खुद से आज दिखा
क्या पता वो फिर मिले ना मिले|